मतदाता सूची पुनरीक्षण पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार,महागठबंधन ने इसको लेकर बुलाया था बिहार बंद


नई दिल्ली: बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन का काम जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। करीब तीन घंटे की सुनवाई के बाद कोर्ट ने चुनाव आयोग से आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को भी पहचान पत्र मानने को कहा। अब अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।

SIR के खिलाफ 11 लोगों ने याचिका दाखिल की थी

SIR के खिलाफ राजद सांसद मनोज झा, TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत 11 लोगों ने याचिकाएं दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से वकील गोपाल शंकर नारायण, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलली दी। जबकि चुनाव आयोग की ओर से पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह ने पैरवी की। 

याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से कहा-  "चुनाव बस कुछ ही महीने दूर हैं। चुनाव आयोग कह रहा है कि विशेष गहन पुनरीक्षण 30 दिनों के भीतर पूरी कर ली जाएगी।"

इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- "SIR प्रक्रिया में कोई बुराई नहीं है, लेकिन आगामी चुनाव से कई महीने पहले ही कर ली जानी चाहिए थी। भारत में मतदाता बनने के लिए नागरिकता की जांच करना आवश्यक है, जो संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत आता है। चुनाव आयोग संविधान के तहत ये काम कर रहा है।"

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